Saturday, November 23, 2024
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आदिवासी समाज के आरक्षण की कटौती के लिये रमन सिंह, भाजपा दोषी-कांग्रेस*

*कांग्रेस आदिवासी समाज के सामने भाजपा को बेनकाब करेगी-मोहन मरकाम*

 

रायपुर/30 सितंबर 2022। अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण में कटौती की दोषी पूर्ववर्ती रमन सरकार है। भाजपा कितनी भी नौटंकी कर ले उसकी गलती छुपने वाली नहीं है। प्रदेश का आदिवासी समाज भाजपा को माफ नहीं करेगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि कांग्रेस आदिवासी समाज के सामने भाजपा की इस बदनीयती को बेनकाब करेगी। कांग्रेस बतायेगी रमन सरकार ने जानबूझकर ऐसा फैसला लिया था जो कोर्ट में रद्द हो जाये। अपने फैसले को बचाने के लिये ठोस उपाय नहीं करने के रमन सिंह की बदनीयती सामने आई है।

 

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि कांग्रेस सरकार बिलासपुर उच्चन्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गयी है। कांग्रेस आदिवासी समाज के हितो के लिये पूरी कानूनी लड़ाई लड़ेगी। हमें पूरा-पूरा भरोसा है राज्य के आदिवासी, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग सभी के साथ न्याय होगा। उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण का लाभ मिलेगा। पूर्ववर्ती रमन सरकार ने यदि 2012 में बिलासपुर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किये गये मुकदमे में सही तथ्य रखे होते तथा 2011 में आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 58 प्रतिशत करने के समय दूसरे वर्ग के आरक्षण की कटौती के खिलाफ निर्णय नहीं लिया होता तब आरक्षण की सीमा 50 से बढ़कर 58 हो ही रही थी तो उस समय उसे 4 प्रतिशत और बढ़ा देते सभी संतुष्ट होते कोर्ट जाने की नौबत नहीं आती और न आरक्षण रद्द होता।

 

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि आरक्षण को बढ़ाने का निर्णय हुआ उसी समय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार राज्य सरकार को अदालत के सामने आरक्षण को 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने की विशेष परिस्थितियों और कारण को बताना था। तत्कालीन रमन सरकार अपने इस दायित्व का सही ढंग से निर्वहन नहीं कर पायी। 2012 में बिलासपुर उच्च न्यायालय में 58 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ याचिका दायर हुई तब भी रमन सरकार ने सही ढंग से उन विशेष कारणों को प्रस्तुत नहीं किया जिसके कारण राज्य में आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 58 प्रतिशत किया गया। आरक्षण को बढ़ाने के लिये तत्कालीन सरकार ने तत्कालीन गृहमंत्री ननकी राम कंवर की अध्यक्षता में मंत्री मंडलीय समिति का भी गठन किया था। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भी कमेटी बनाई गयी थी। रमन सरकार ने उसकी अनुशंसा को भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जिसका परिणाम है कि अदालत ने 58 प्रतिशत आरक्षण के फैसले को रद्द कर दिया। रमन सरकार की बदनीयती से यह स्थिति बनी है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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