Saturday, November 23, 2024
Homeखास खबररायपुर : मुख्यमंत्री ने किया झाड़ा सिरहा की प्रतिमा का अनावरण

रायपुर : मुख्यमंत्री ने किया झाड़ा सिरहा की प्रतिमा का अनावरण

173 करोड़ 44 लाख से अधिक लागत के 89 विकास कार्यों का किया लोकार्पण-शिलान्यास

173 करोड़ 44 लाख से अधिक लागत के 89 विकास कार्यों का किया लोकार्पण-शिलान्यासबस्तर दशहरा में शामिल  होने पहुँचे मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने  सिरहासार भवन के समीप शहीद स्मारक परिसर में मुरिया विद्रोह के जन नायक झाड़ा सिरहा की आदमकद मूर्ति का अनावरण किया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने  बस्तर जिले में 89 विकास कार्यों लागत लगभग 173 करोड़ 28 लाख से अधिक राशि के कार्यों का लोकार्पण-शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री ने 77 करोड़ 38 लाख 72 हजार के 22 विकास कार्यों का लोकार्पण तथा 95 करोड़ 89 लाख 72 हजार के 67 विकास कार्यों का भूमिपूजन किया।इस अवसर पर उद्योग व जिले के प्रभारी मंत्री श्री कवासी लखमा, सांसद श्री दीपक बैज, बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री लखेश्वर बघेल, उपाध्यक्ष श्री संतराम नेताम, श्री विक्रम मंडावी, संसदीय सचिव श्री रेखचन्द जैन, हस्त शिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री चंदन कश्यप, चित्रकोट विधायक  श्री राजमन बेंजाम, महापौर श्रीमती सफीरा साह,  नगर निगम सभापति श्रीमती कविता साह, कमिश्नर श्री श्याम धावड़े, आई जी श्री सुंदर राज पी., कलेक्टर श्री चंदन कुमार, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री जितेंद्र मीणा सहित अन्य  जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

चंदन कुमार, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री जितेंद्र मीणा सहित अन्य  जनप्रतिनिधि उपस्थित थेशहीद झाड़ा सिरहा की प्रतिमा को शहर के सिरहासार चौक स्थित शहीद स्मारक के पास लगाया गया है।  वीर शहीद झाड़ा सिरहा का जन्म बस्तर जिले के आगरवारा परगना के अंतर्गत ग्राम बड़े आरापुर में परगना मांझी एवं माटी पुजारी परिवार में हुआ था। वे बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे। वे जड़ी बूटियों के जानकार, कुशल नेतृत्वकर्ता और प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी थे। उनके इन्हीं गुणों के कारण उन्हें 1876 में हुए मुरिया विद्रोह में नेतृत्व किया।

 झाड़ा सिरहा की प्रतिमा का अनावरण
विद्रोह में बस्तर की आदिम संस्कृति की रक्षा, जल, जंगल, जमीन की सुरक्षा, सामाजिक रीति-नीतियों के संरक्षण और अंग्रेजों से मिले सामंतवादियों द्वारा किये जा रहे शोषण के विरूद्ध सभी आदिवासियों ने झाड़ा सिरहा के नेतृत्व में आवाज उठाई थी। अपनी कुशल संगठन क्षमता और रणनीति के साथ पूरे दमखम से लड़ते हुए अंग्रेजी फौज के हाथों झाड़ा सिरहा 1876 में वीरगति को प्राप्त हुए थे।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular