Friday, November 22, 2024
Homeराजनीति*अंततः आदिवासी आरक्षण पर, हमारे पक्ष के कारण भूपेश सरकार झुकी -रामविचार...

*अंततः आदिवासी आरक्षण पर, हमारे पक्ष के कारण भूपेश सरकार झुकी -रामविचार नेताम*

आज छ. ग. शासन के कैबिनेट बैठक में आदिवासी आरक्षण पर पूर्ववत नियम लागू करने संबंधी निर्णय लिया गया।

इसे आदिवासियों के हक की जीत बताते हुए छ्त्तीसगढ शासन के पूर्व गृहमंत्री एवं राज्य सभा सांसद रामविचार नेताम ने कहा है की आदिवासी आरक्षण पर ढुलमुल रवैये से बाज़ आते हुए भूपेश की कॉंग्रेस सरकार ने आख़िरकार हम सभी के विरोध के कारण कैबिनेट में यह निर्णय लेने को विवश होना पड़ा ।

जिसके अनुसार अब राज्य में मेडिकल कॉलेजो में एमबीबीएस की कुल 973 सीटो में से अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रो को 32% के हिसाब से पूरे 300 सीट प्राप्त होंगे।

रामविचार नेताम ने आगे कहा है कि इससे पूर्व भूपेश सरकार ने आदिवासी छात्रो को महज़ 190 सीटे देकर आदिवासी बाहुल्य छ. ग. राज्य के आदिवासी समाज के युवाओं के साथ सरकार अपने स्वभाव के अनुरूप धोखे बाज़ी कर रही थी । हमने अपने नेता छ.ग. भाजपा के चुनाव सह प्रभारी एवम् केंद्रीय स्वास्थ मंत्री मा. मनसुख मांडविया के समक्ष भी आदिवासी युवाओं के साथ हो रहे इस छल की शिकायत की थी। उसके बाद केंद्र सरकार और भाजपा के दवाब में भूपेश सरकार को अपना रवैया बदलना पड़ा।

उन्होंने कहा कि भाजपा आदिवासियों के साथ किसी भी प्रकार की धोखेबाजी बर्दाश्त नहीं करेगी। वैसे भी, राज्य की आदिवासी जनता इस सरकार और कांग्रेस पार्टी को आगामी चुनाव में सत्ता से बाहर का रास्ता दिखलाने ही वाली है।

उन्होंने कहा मेडिकल सीटों पर आदिवासियों के लिए आरक्षण के मामले को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि कैसे आरक्षण को लेकर माननीय उच्च न्यायालय, रायपुर एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय में विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई में राज्य सरकार छत्तीसगढ़ के आदिवासियों का पक्ष सही ढंग से नहीं रख रही और आदिवासी हित के प्रति लचर रवैया अपना रही थी। कांग्रेस सरकार व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में आदिवासी आरक्षण के विषय को टालती रही यह सरकार चुनाव आचार संहिता लागू होने तक इस पर कुछ भी नहीं करना चाहती थी। सरकार के लचर रवैया के कारण

चिकित्सा शिक्षा विभाग अपनी तय समय सारणी से हट गया और MBBS की पहली अलॉटमेंट लिस्ट जारी नहीं हुई। MBBS में अवैध 16-20-14 आरक्षण रोस्टर का विरोध किया जा रहा था। माननीय हाई कोर्ट के 19 सितंबर 2022 के गुरु घासीदास अकादमी फ़ैसले के बाद सात महीनों तक भूपेश बघेल सरकार ने आदिवासी हित में अंतरिम राहत का सवाल भरसक टालने की कोशिश की थी।

1 मई को सुप्रीम कोर्ट से सिर्फ़ लोक सेवा में 12-32-14 आरक्षण रोस्टर से भर्तियां करने की अंतरिम राहत मिली थी। यह राहत इस निवेद्न पर दी गई थी कि आरक्षण पूरी तरह शून्य हो गया है और प्रशासन के लिए मानव संसाधन की कमी हो रही है।

9 मई को सामान्य प्रशासन विभाग ने अपने सर्कुलर में मान लिया था कि शिक्षा में फ़िलहाल एससी-एसटी-ओबीसी का कोई आरक्षण नहीं है। तब से अब तक सामान्य प्रशासन विभाग ने स्थिति में बदलाव होने का कोई सर्कुलर जारी नहीं किया है। तब फिर किस अधिकार से चिकित्सा शिक्षा एवं अन्य विभाग 16-20-14 आरक्षण रोस्टर का प्रयोग कर रहे हैं। सत्र 2022 में भी भूपेश बघेल सरकार ने आदिवासी युवाओं के विरोध को नजर अंदाज करते हुए अवैध 16-20-14 आरक्षण रोस्टर से ही MBBS में प्रवेश दिया था?

पिछले हफ़्ते ही प्रवेश प्रक्रिया के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने अचानक आयुक्त चिकित्सा शिक्षा राजीव अहिरे को हटा कर पुष्पा साहू को नियुक्त कर दिया। यह सारी प्रक्रिया राज्य सरकार की नियत को उजागर करती है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular