कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, एवं कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि देश भर के व्यापारियों के शीर्ष संगठन कन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने प्रदेश भर के व्यापारियों को सलाह दी है
की क्योंकि 30 अगस्त को सारे दिन भद्रा काल है जिसमें कोई भी मंगल कार्य निषेध है, इसलिए देश भर के व्यापारी 31 अगस्त को ही रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार मनाएँ। 31 अगस्त को यह त्यौहार मनाना पूर्ण रूप से शास्त्रसम्मत है।
कैट ने इस तरह की एडवाइजरी आज देश के सभी व्यापारी संगठनों को भेजी है।
कैट के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने बताया इस विषय पर कल कैट का एक प्रतिनिधिमंडल देश के सुप्रसिद्ध राम कथा वाचक अजय भाई जी एवं देश के विशिष्ट ज्योतिषाचार्य एवं वैदिक ज्ञान के प्रकांड विद्वान आचार्य दुर्गेश तारे से कल मिला और उनसे प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश सहित देश भर में 31 अगस्त को ही रक्षा बंधन मनाया जाना तय हुआ।दू
सरी तरफ़ शास्त्रों एवं भद्रा काल का हवाला देते हुए कैट ने केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री गोविंद मोहन से आग्रह किया है की वस्तुस्तिथि को देखते हुए 31 अगस्त को ही सरकारी अवकाश घोषित किया जाए जिससे सभी लोग उत्साह एवं उल्लास के साथ भाई बहन के पवित्र रिश्ते के अनूठे त्यौहार रक्षा बंधन को मना सकें। सरकार द्वारा 31 अगस्त को रक्षाबंधन की छुट्टी यदि घोषित होती है तो बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारी, बैंककर्मी सहित स्कूल एवं कॉलेज तथा प्राइवेट कंपनियों के लोग भी भद्रा काल की बजे शुभ समय में इस पर्व को मना सकेंगे।
पारवानी एवं श्री दोशी ने बताया की इस वर्ष राखी पर लगभग 10 हज़ार करोड़ रुपये के व्यापार होने की उम्मीद है जबकि पिछले वर्ष यह व्यापार लगभग 7 हज़ार करोड़ रुपये का था वहीं वर्ष 2021 यह व्यापार 6 हज़ार करोड़ रुपये का था जबकि वर्ष 2020 में 5 हज़ार करोड़ , वर्ष 2019 में 3500 करोड़ तथा वर्ष 2018 में 3 हज़ार करोड़ था।
पारवानी एवं श्री दोशी ने बताया की इस वर्ष राखियों की एक विशेषता यह भी है कि इनमें देश के विभिन्न शहरों के मशहूर उत्पादों से विशेष प्रकार की राखियाँ भी बनाई गईं है
जिनमें नागपुर में बनी खादी राखी, जयपुर में सांगानेरी कला राखी, पुणे में बीज राखी, मध्य प्रदेश के सतना में ऊनी राखी, आदिवासी वस्तुओं से बनी बांस की राखी, असम में चाय पत्ती राखी, कोलकाता में जूट राखी, मुंबई में रेशम राखी, केरल में खजूर राखी, कानपुर में मोती राखी, बिहार में मधुबनी और मैथिली कला राखी, पांडिचेरी में सॉफ्ट पत्थर की राखी, बैंगलोर में फूल राखी आदि शामिल हैं वहीं देश का गर्व प्रदर्शित करने वाली तिरंगा राखी, चंद्रयान राखी, जी 20 के स्लोगन वसुधैव कुटुंबकम की राखी, भारत माता की राखी आदि शामिल हैं
पारवानी एवं श्री दोशी ने बताया की उम्मीद है कि 30 अगस्त, रक्षा बंधन से शुरू होकर 24 नवंबर, तुलसी विवाह के दिन तक त्योहारी अवधि के दौरान, सामानों की बिक्री के माध्यम से देश के बाज़ारों में लगभग 3 लाख करोड़ रुपये की बिक्री होने की उम्मीद है।
इस वर्ष त्यौहार श्रृंखला रक्षा बंधन से शुरू होगी और जन्माष्टमी, गणेश त्यौहार, नवरात्रि, दुर्गा पूजा, दशहरा, करवा चौथ, धनतेरस, दिवाली, गोवर्धन पूजा, छठ पूजा सहित अन्य त्यौहारों सहित तुलसी विवाह के दिन सम्पन्न होगी। इस त्यौहारों श्रृंखला की अवधि के दौरान उपभोक्ताओं की मांगों को पूरा करने के लिए देश का व्यापारिक समुदाय पूरी तरह तैयार है और पर्याप्त मात्रा में सभी उत्पादों का स्टॉक व्यापारियों ने कर लिया है।
देश के सभी राज्यों में व्यापारी भारतीय सामान को ही बेचेंगे क्योंकि उपभोक्ता भी अब भारतीय सामान की मांग कर रहे हैं। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की ओर से 1 सितंबर से देश भर में चीनी सामान के बहिष्कार का अभियान चलाया जा रहा है जो 31 दिसंबर तक चलेगा।