_👉 महाराज दशरथ का जन्म बहुत ही एक अद्भुत घटना है पौराणिक धर्म ग्रंथों के आधार पर बताया जाता है कि:~_
_👉 एक बार राजा अज दोपहर की वंदना कर रहे थे।_
_उस समय लंकापति रावण उनसे युद्ध करने के लिए आया, और दूर से उनकी वंदना करना देख रहा था। राजा अज ने भगवान शिव की वंदना की और जल आगे अर्पित करने की जगह पीछे फेंक दिया।_
_यह देखकर रावण को बड़ा आश्चर्य हुआ। और वह युद्ध करने से पहले राजा अज के सामने पहुंचा तथा पूछने लगा कि हमेशा वंदना करने के पश्चात जल का अभिषेक आगे किया जाता है,!_
_ना कि पीछे,इसके पीछे क्या कारण है। *राजा अज* ने कहा जब मैं आंखें बंद करके ध्यान मुद्रा में भगवान शिव की अर्चना कर रहा था।_
_👉 तभी मुझे यहां से एक योजन दूर जंगल में एक गाय,घास चरती हुई दिखी और मैंने देखा कि एक सिंह उस पर आक्रमण करने वाला है तभी मैंने गाय कि रक्षा के लिए जल का अभिषेक पीछे की तरफ किया।_
_रावण को यह बात सुनकर बड़ा ही आश्चर्य हुआ।_
_रावण,एक योजन दूर- वहाँ गया,और उसने देखा कि एक गाय हरी घास चर रही है- जबकि शेर के पेट में कई बाण लगे हैं- अब रावण को विश्वास हो गया कि- जिस महापुरुष के जल से ही बाण बन जाते हैं।_
_और बिना किसी लक्ष्य साधन के लक्ष्य बेधन हो जाता है ऐसे वीर पुरुष को जीतना बड़ा ही असंभव है और वह उनसे बिना युद्ध किए ही लंका लौट जाता है।_
_👉 एक बार *राजा अज* जंगल में भ्रमण करने के लिए गए- तो उन्हें एक बहुत ही सुंदर सरोवर दिखाई दिया- उस सरोवर में एक कमल का फूल था जो अति सुंदर प्रतीत हो रहा था।_
_उस कमल को प्राप्त करने के लिए *राजा अज* सरोवर में चले गए- किंतु यह क्या.? राजा अज जितना उस कमल के पास जाते, वह कमल उनसे उतना ही दूर हो जाता,और राजा अज उस कमल को नहीं पकड़ पाते।_
_👉 अंततः आकाशवाणी हुई कि हे राजन! आप नि:संतान हैं- इसलिए आप इस कमल के योग्य नहीं है, इस भविष्यवाणी ने- राजा अज के हृदय में- एक भयंकर आघात किया।_
_राजा अज, अपने महल लौट आए- और चिंता ग्रस्त रहने लगे- क्योंकि उन्हें संतान नहीं थी,जबकि वह भगवान शिव के परम भक्त थे।_
_👉 भगवान शिव ने, उनकी इस चिंता को ध्यान में लिया।_
_और उन्होंने धर्मराज को बुलाया- और कहा तुम किसी ब्राह्मण को अयोध्या नगरी पहुंचाओ जिससे राजा अज को संतान की प्राप्ति के आसार हो।_
_तब धर्मराज की प्रेरणा से- दूर से आये- एक गरीब ब्राह्मण और ब्राह्मणी सरयू नदी के किनारे,कुटिया बनाकर रहने लगे।_
_👉 एक दिन वे ब्राह्मण राजा अज के दरबार में गए और उनसे अपनी दुर्दशा का जिक्र कर भिक्षा मांगने लगे।_
_राजा अज ने अपने खजाने में से उन्हें सोने की अशर्फियां देनी चाही- लेकिन ब्राह्मण ने,यह कहते हुए मना कर दिया- कि यह प्रजा का है- आप अपने पास जो है,उसे दीजिए- तब राजा अज ने अपने गले का हार उतारा,और ब्राह्मण को देने लगे,किंतु ब्राह्मण ने मना कर दिया कि यह भी प्रजा की ही संपत्ति है।_
_👉 इस प्रकार राजा अज को बड़ा दु:ख हुआ, कि आज एक गरीब ब्राह्मण उनके दरबार से खाली हाथ जा रहा है- तब राजा अज शाम को एक मजदूर का भेष बनाते हैं, और नगर में किसी काम के लिए निकल जाते हैं।_
_चलते – चलते वह एक लौहार के यहाँ पहुंचते हैं, और अपना परिचय दिये बिना ही- वहां विनय करके काम करने लग जाते हैं। पूरी रात, हथौड़े से लोहे का काम करते हैं- जिसके बदले उन्हें सुबह एक टका मिलता है।_
_👉 राजा, वह एक टका लेकर- ब्राह्मण के घर पहुंचते हैं।_
_लेकिन वहां ब्राह्मण नहीं था,उन्होंने वह एक टका ब्राह्मण की पत्नी को दे दिया और कहा कि इसे ब्राह्मण को दे देना जब ब्राह्मण आया तो-_
_ब्राह्मण की पत्नी ने वह टका ब्राह्मण को दिया!_
_ब्राह्मण ने उस टका को जमीन पर फेंक दिया- तभी एक आश्चर्यजनक घटना हुई ब्राह्मण ने जहां टका फेंका था- वहां गड्ढा हो गया ब्राह्मण ने उस गढ्ढे को और खोदा तो उसमें से सोने का एक रथ निकला- और आसमान में चला गया।_ _इसके पश्चात ब्राह्मण ने और खोदा तो दूसरा सोने का रथ निकला और वह भी आसमान की तरफ चला गया- इसी प्रकार से,नौ सोने के रथ निकले-_
_और आसमान की तरफ चले गए- और जब दसवाँ रथ निकला- तो उस पर एक बालक था- और वह रथ जमीन पर आकर ठहर गया।_
_👉 ब्राह्मण उस बालक को लेकर राजा अज के दरबार में पहुंचे और कहा राजन – इस पुत्र को स्वीकार कीजिए- यह आपका ही पुत्र है *जो एक टका से उत्पन्न हुआ है।
_तथा इसके साथ में, सोने के नौ रथ और निकले जो आसमान में चले गए जबकि:~_
_👉 यह बालक दसवें रथ पर निकला- इसलिए यह रथ तथा पुत्र आपका है। इस प्रकार से दशरथ जी का जन्म हुआ था।_
_👉 महाराज दशरथ का असली नाम मनु था।_