देश के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, एवम कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने देश से ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देने हेतु देश भर के जिलों का लाभ उठाने के लिए ई-कॉमर्स खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफ़टी) की आलोचना की है। कैट ने कहा कि यह विचार तो अच्छा है, लेकिन यह छोटे व्यवसायों और जिलों में स्थित निर्माताओं के हितों के लिए बहुत हानिकारक होगा क्योंकि यह आशंका है कि ई-कॉमर्स कंपनियाँ जिलों के छोटे व्यवसायों को अपने बिज़नेस मॉडल के अनुरूप अपने एकाधिकार के चंगुल में ले लेंगे।
कैट के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने बताया की डीजीएफटी के इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ई-कॉमर्स नीति और नियमों के अभाव में, यह कदम आत्मघाती साबित होगा और ई कॉमर्स कंपनियों के पहले से चले आ रहे अपवित्र बिज़नेस मॉडल को मज़बूत करेगा क्योंकि अब यह साफ़ हो गया है कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां देश के कानूनों का उल्लंघन कर रही हैं और ऐसे में डीजीएफटी का उन्हें समर्थन उनके बिजनेस मॉडल को वैधता प्रदान करेगा ज्ञातव्य है कि इन कंपनियों के ख़िलाफ़ सीसीआई और अन्य जांच एजेंसियों द्वारा काफी सवाल उठाए गये हैं और जाँच अभी भी पेंडिंग है।
श्री पारवानी और श्री दोशी ने आगे कहा कि हमें निर्यात के लिए ई-कॉमर्स का लाभ उठाने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि कानून के दायरे में रह कर ही ई कॉमर्स कंपनियाँ काम कर रहा है या नहीं।डीजीएफटी का यह कदम ई-कॉमर्स कंपनियों को ज़िला स्तर तक के उद्यमियों के महत्वपूर्ण डेटा सहित उनके व्यापार पर आधिपत्य जमाने के बड़े मौक़े देगा।
श्री पारवानी और श्री दोशी ने कहा कि ऐसी घोषणा करने से पहले, डीजीएफटी ने स्टेकहोल्डर्स के साथ कोई परामर्श नहीं किया और न ही बोर्ड ऑफ़ ट्रेड में इस मुद्दे पर चर्चा की गई। श्री खंडेलवाल बोर्ड ऑफ़ ट्रेड के सदस्य हैं।
कैट ने आज केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल से ई-कॉमर्स नीति और नियमों को तुरंत लागू करने का आग्रह किया है जिसे ई-कॉमर्स कंपनियों की मनमानी पर अंकुश लग सके। कैट ने श्री गोयल से यह भी आग्रह किया है कि नीति और नियम अधिसूचित होने के बाद ही डीजीएफटी के इस कदम को अमल में लाया जाए।