Thursday, November 21, 2024
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Raipur News : दंतेवाडा़ पद्धति से धान की खेती


होता है दोगुना अधिक उत्पादन, ग्रीन मैन्योर ( हरी खाद) के उपयोग से होगा मिट्टी में सुधार

जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में हमारे जिले के किसानों को परंपरागत धान की खेती के स्थान पर पद्धति से बोनी के लिए प्रेरित कर उत्पादन बढ़ाने का विशेष प्रयास किया जा रहा है। इस वर्ष कृषि विभाग द्वारा जिले भर में 600 हेक्टयर में पद्धति से धान की बोनी का लक्ष्य रखा गया है इसके साथ ही 1200 हेक्टेयर रकबे में हरी खाद के उपयोग कर उत्पादकता को बढ़ाने हेतु विशेष प्रयास किये जा रहे है।
कृषि विभाग से प्राप्त सूत्रों के अनुसार जिले के किसानों को पद्धति से  धान बोनी के लिए प्रोत्साहन देने के क्रम में अब तक 540 हेक्टेयर क्षेत्र में पद्धति से धान की बोनी की जा चुकी है। और पद्धति से खेती करने पर लगभग दो से ढाई गुना अधिक उत्पादन होगा। इसके लिए किसानों को लगातार प्रेरित किया जा रहा है। इस पद्धति से खेती के लिए जिले के विकासखंड गीदम, और दंतेवाड़ा क्षेत्र के किसानों द्वारा अधिक रूचि दिखाई जा रही है।
पद्धति से बोआई करने पर न केवल पानी की कम आवश्यकता पड़ती है साथ ही  इस पद्धति से खेती करने में फसल में रोग भी लगने की संभावना भी कम रहती है। इसके अलावा पद्धति के बोनी में उर्वरक और रासायनिक दवाओं, कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसकी जगह ’’ग्रीन मन्योर’’ (हरी खाद) का उपयोग किया गया है
वर्तमान में बारिश की स्थिति जिले में अच्छी  होने के चलते किसानों को पद्धति से खेती के लिए अनुकूल अवसर मिला है। इस संबंध में कृषि विभाग द्वारा किसानों को खेती की तैयारी से लेकर पौधों की रोपाई की पूरी जानकारी दी जा रही है। साथ ही खरपतवार नियंत्रण के बारे में भी बताया जा रहा है। इस संबंध में जानकारी दी गई कि पिछले वर्ष तक जिले में महज एक सौ पचास हेक्टेयर में ही पद्धति से किसान धान की खेती करते थे। जबकि इस वर्ष पद्धति से धान की खेती का रकबा बढ़ाया गया है।
पद्धति बोआई के अन्य लाभ में कम बीज से अधिक उत्पादन भी शामिल है। इसके अलावा धान की खेती करने में लागत भी कम आती है। परंपरागत खेती में एक हेक्टेयर में जहां 50 से 60 किलो बीज की जरूरत पड़ती है, वहीं पद्धति से धान की खेती में बीज जरूरत महज पांच से छह किलो की ही होती है। ऐसे में किसानों को कम बीज में अधिक उत्पादन मिलेगा। पद्धति से उत्पादन पर भी असर पड़ता है।

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