रायपुर (छत्तीसगढ़) पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने किताब घोटाले के मामले में सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए इसे छत्तीसगढ़ को शर्मिंदा करने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि इस घोटाले में साय सरकार का दुशासन बेनकाब हुआ है और जांच कमेटी में शामिल सदस्य खुद भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए हैं।
उपाध्याय ने आरोप लगाया कि सरकार ने पाठ्य पुस्तक निगम के महाप्रबंधक प्रेम प्रकाश शर्मा को निलंबित कर अपनी लीपा-पोती की है। उन्होंने कहा, “सात अलग-अलग जिलों से मिली किताबें कबाड़ में बेची गईं, और इस पूरे मामले में जिला शिक्षा अधिकारियों की मिलीभगत साफ है।”
उपाध्याय ने मांग की कि इस घोटाले की जड़ें तलाशने के लिए पहले उन सभी शिक्षा अधिकारियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर सड़क, सदन और न्यायालय तक की लड़ाई लड़ेगी, और जब तक असली दोषियों को सजा नहीं मिलती, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि साय सरकार को इस भ्रष्टाचार पर सही कार्रवाई करने में कठिनाई क्यों हो रही है, और आरोप लगाया कि यह पूरा मामला कमीशनखोरी से संबंधित है। उपाध्याय ने इस घोटाले को छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा किताब घोटाला बताया और कहा कि प्रदेश में शिक्षा के मामले में गंभीर चिंताएं उत्पन्न हो गई हैं।