नई दिल्ली: कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने एक श्वेत पत्र जारी कर भारत के खुदरा व्यापार को नुकसान पहुंचाने वाले क्विक कॉमर्स (क्यूसी) प्लेटफॉर्म्स जैसे ब्लिंकिट, इंस्टामार्ट, ज़ेप्टो, स्विगी आदि के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। कैट के वरिष्ठ नेताओं ने इन प्लेटफॉर्म्स पर विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) का दुरुपयोग करने, अनुचित मूल्य निर्धारण, आपूर्ति श्रृंखला पर नियंत्रण, और प्रतिस्पर्धा विरोधी रणनीतियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है, जो छोटे खुदरा विक्रेताओं के लिए अस्तित्व का संकट उत्पन्न कर रहे हैं।
कैट ने कहा कि ये प्लेटफॉर्म्स, जो ₹54,000 करोड़ से अधिक के एफडीआई से समर्थित हैं, अपने संचालन में हुए घाटों को कवर करने के लिए इस फंड का उपयोग कर रहे हैं, जिससे वे छोटे किराना स्टोर्स को बाजार से बाहर धकेल रहे हैं। श्वेत पत्र में इन प्लेटफॉर्म्स द्वारा एफडीआई नीति और प्रतिस्पर्धा अधिनियम के उल्लंघन की गंभीर चिंता जताई गई है।
कैट ने सरकार से अपील की है कि क्यूसी प्लेटफॉर्म्स पर तत्काल नियामक कार्रवाई की जाए ताकि भारतीय खुदरा बाजार की अखंडता और छोटे व्यापारियों के हितों की रक्षा हो सके।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की हाल ही में की गई टिप्पणियों का भी कैट ने स्वागत किया, जिसमें उन्होंने क्यूसी प्लेटफॉर्म्स के अनियमित कार्यों पर चिंता व्यक्त की थी और स्थानीय किराना स्टोर्स के साथ इनके समन्वय की आवश्यकता जताई थी।
मुख्य आरोप:
- एफडीआई का दुरुपयोग: क्यूसी प्लेटफॉर्म्स एफडीआई का इस्तेमाल न तो बुनियादी ढांचा निर्माण में कर रहे हैं, बल्कि घाटे को कवर करने और अनुचित छूट देने के लिए कर रहे हैं।
- अनुचित मूल्य निर्धारण: गहरी छूट से किराना स्टोर्स का व्यापार प्रभावित हो रहा है।
- प्रतिस्पर्धा का नुकसान: चयनित विक्रेताओं के साथ विशेष समझौतों के कारण स्वतंत्र खुदरा विक्रेताओं को प्रतिस्पर्धा के अवसर नहीं मिल रहे हैं।
- पारदर्शिता की कमी: विक्रेताओं की जानकारी छुपाकर उपभोक्ताओं को गुमराह किया जा रहा है।
कैट ने इन प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ नियामक निकायों से हस्तक्षेप करने की मांग की है ताकि प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली इन रणनीतियों को रोका जा सके और छोटे व्यापारियों की सुरक्षा की जा सके।