रायपुर। राजधानी में जमीन विवाद और रजिस्ट्री के फर्जीवाड़े को खत्म करने नामांतरण की प्रक्रिया में बदलाव किया जा रहा है। अब जमीन की रजिस्ट्री के तुरंत बाद ही नामांतरण हो जाएगा। अभी रजिस्ट्री कराने के बाद नामांतरण के लिए दो से चार हफ्ते तक इंतजार करना पड़ता है।
इससे पहले बरसो से यह होता रहा है की रजिस्ट्री के बाद नामांतरण के लिए पटवारी आर आई और तहसीलदार के दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे प्रदेश भर में रोज तकरीबन 8 हजार संपत्तियों की रजिस्ट्री होती है। इससे क्रेता द्वारा अपने नाम पर दर्ज कराने के लिए एक माह से 90 दिन तक इंतजार करना पड़ता है। इसके लिए तहसील और पटवारी कार्यालय में सुविधा शुल्क भी देना पड़ जाता है। इसे देखते हुए राजस्व विभाग अब तत्काल नामांतरण की सुविधा शुरू करने जा रहा है।
नामांतरण भी तब होता है जब रजिस्ट्री कराने वाले आवेदन करते हैं। आमतौर पर लोग नामांतरण के लिए आवेदन ही नहीं करते हैं। इस वजह से एक जमीन की रजिस्ट्री कई बार हो जाती है और नामंतरण की ओर कोई ध्यान नहीं देता।
भुईंयां पोर्टल में होगा अपडेट
अब ऐसा सॉफ्टवेयर अपडेट किया जा रहा है जिसमें जमीन की रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण भी हो जाएगा। इसके लिए अलग से आवेदन की जरूरत नहीं पड़ेगी। अफसरों के अनुसार जिन लोगों ने रजिस्ट्री कराने के बाद अब नामांतरण नहीं कराया है उन्हें भी आवेदन की जरूरत नहीं पड़ेगी। उनका नामंतरण भी नए सिस्टम के तहत हो जाएगा।
इससे हजारों लोगों को राहत मिलेगी। इसके लिए भू- राजस्व संहिता में संशोधन कराया गया है। संशोधन की प्रक्रिया ही कई महीनों से अटकी थी। इस वजह से सिस्टम चालू होने में देर हुई। अब ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया जा रहा जो भुईंयां पोर्टल से जुड़ा रहेगा। यह सॉफ्टवेयर एनआईसी चिप्स की मदद से बन रहा है। इस एप को ऐसा डिजाइन किया जा रहा है, जिसमें जमीन की रजिस्ट्री के साथ ही खरीदार या भूमि स्वामी का नाम भुईंयां पोर्टल में ऑटोमेटिक अपडेट हो जाएगा। लोगों को इसके लिए न तो आवेदन देना होगा और न ही किसी आरआई या पटवारी के पास जाना होगा।
विधानसभा में प्रस्ताव पारित इसलिए हो पाया है संशोधन
राजस्व भू संहिता में संशोधन के लिए राज्य सरकार की ओर से छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया था। विधेयक पर चर्चा के बाद इसे विधानसभा में पारित किया गया। इसके बाद ही अफसरों ने संशोधन की अधिसूचना जारी की है। रियल एस्टेट से जुड़े जानकारों का कहना है कि राजस्व विभाग में सबसे बड़ा विवाद यही होता है कि पंजीकृत रजिस्ट्री को कैसे अपने नाम पर ऑनलाइन चढ़वाया जाए। बिना किसी लेन-देन यह काम हो नहीं पाता है। इस वजह से लोगों की परेशानी और बढ़ जाती है। अब नया एप तैयार होने के बाद यह परेशानी लगभग खत्म हो जाएगी।