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रायपुर। भारतीय शिल्प और संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए एक अद्वितीय प्रयास के तहत “माटी के रंग” प्रदर्शनी का आयोजन नगर के चर्च ग्राउंड में किया गया है। यह प्रदर्शनी भारतीय पारंपरिक शिल्पकला और संस्कृति को जीवन्त रूप में प्रस्तुत करती है। प्रदर्शनी का उद्देश्य विलुप्त हो रही बुनकर शिल्प और अन्य पारंपरिक शिल्पों को संरक्षित करना है, साथ ही शिल्पकारों को उचित दाम दिलाकर उनके आर्थिक समृद्धि की दिशा में योगदान देना है।
प्रदर्शनी में बेलमेटका आयरन, काष्ठ शिल्प, मिट्टी शिल्प, गोदना शिल्प, काशीदाकारी, बनारसी, कश्मीनी, चंदेरी, महेश्वरी, कोसा, जरी, लखनवी चिकन वर्क, बाघ वटीक जैसे आकर्षक हस्तशिल्प प्रदर्शित होंगे, जिनसे स्थानीय और प्रदेशवासियों को अपने सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
साथ ही, प्रदर्शनी में नृत्य संध्या, सांस्कृतिक कार्यक्रम, धार्मिक जागरूकता, रामायण-महाभारत और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। बच्चों के लिए भी मनोरंजन के विशेष आकर्षण होंगे।
प्रदर्शनी के अलावा, संस्था द्वारा 15-15 दिवसीय ग्रीष्मकालीन हस्तशिल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया जा रहा है, जिसमें गोदना शिल्प, बेलमेटका काष्ठ शिल्प, टाटूबला पेटिंग, तम्बा शिल्प, मिट्टी शिल्प और अन्य तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इच्छुक बालिकाओं और महिलाओं से आवेदन 22 फरवरी 2025 तक जमा किए जा सकते हैं।
प्रदर्शनी में शिल्पकारों और दस्तकारों को दलालों के शोषण से मुक्त कर उनका सम्मान किया जाएगा और उनके उत्पाद को उचित मूल्य दिलाने का प्रयास किया जाएगा। प्रदर्शनी का यह आयोजन भारतीय संस्कृति और कला के संरक्षण और संवर्धन में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
प्रशिक्षण के लिए आवेदन कार्यपालक निदेशक बी.के. साहू के पास जमा किए जा सकते हैं, अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: 9406066492।