
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित AIIMS (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) ने अंग प्रतिरोपण के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यहां राज्य का पहला सफल ‘स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट’ किया गया है। यह न केवल AIIMS रायपुर बल्कि पूरे राज्य के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है।
क्या होता है स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट?
‘स्वैप ट्रांसप्लांट’ (या Kidney Paired Donation) उन मरीजों के लिए किया जाता है जिनके पास जीवित दाता तो होते हैं, लेकिन रक्त समूह या एचएलए एंटीबॉडी मेल नहीं खाते। ऐसे में दो मरीजों की जोड़ियों के बीच गुर्दा का आदान-प्रदान (Swap) किया जाता है, जिससे दोनों को जीवनदान मिल सकता है।
डायलिसिस से जूझ रहे थे दोनों मरीज
AIIMS रायपुर में भर्ती बिलासपुर के 39 और 41 वर्षीय दो पुरुष मरीज पिछले तीन वर्षों से डायलिसिस पर थे। दोनों की पत्नियां उन्हें गुर्दा दान करना चाहती थीं, लेकिन जैविक असंगति के चलते प्रतिरोपण संभव नहीं हो सका। इसके बाद डॉक्टरों की टीम ने 15 मार्च 2025 को स्वैप ट्रांसप्लांट किया, जो पूरी तरह सफल रहा।
विशेषज्ञ बोले: “स्वैप ट्रांसप्लांट है जीवन रक्षक विकल्प”
AIIMS रायपुर के वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. विनय राठौर ने बताया कि जैविक असंगति के कारण लगभग 40-50% किडनी ट्रांसप्लांट मना कर दिए जाते हैं। ऐसे में स्वैप ट्रांसप्लांट उन मरीजों के लिए नई उम्मीद की किरण है। उन्होंने यह भी कहा कि डायलिसिस की तुलना में समय पर किया गया ट्रांसप्लांट मरीज के लिए बेहतर और टिकाऊ विकल्प होता है।
राष्ट्रीय स्तर पर भी मिली सराहना
हाल ही में राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रतिरोपण संगठन (NOTTO) ने भी सभी राज्यों को स्वैप ट्रांसप्लांट को बढ़ावा देने के लिए पत्र जारी किया है। AIIMS रायपुर की यह पहल उसी दिशा में एक साहसिक और प्रेरणादायी कदम है।
छत्तीसगढ़ का पहला सरकारी अस्पताल बना एम्स रायपुर
इस उपलब्धि के साथ AIIMS रायपुर नया इतिहास रचते हुए स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट करने वाला छत्तीसगढ़ का पहला सरकारी अस्पताल बन गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस उपलब्धि को नए AIIMS संस्थानों के बीच पहली सफलता के रूप में सराहा है।