Friday, November 22, 2024
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छत्तीसगढ़ में धूमधाम से मनाया जाएगा हलषष्ठी पर्व, माताओं ने संतान की दीर्घायु की कामना के लिए रखा व्रत

छत्तीसगढ़ में उत्साह पूर्वक मनाया गया हलषष्ठी का पर्व, संतान की दीर्घायु और खुशहाली की कामना के लिए माताओं ने रखा हलषष्ठी व्रत

हलषष्ठी पर्व 25 अगस्त को मनाया जाएगा, जिसके लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस दिन माताएं संतान की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं और पसहर चावल का सेवन करती हैं। पसहर चावल की बिक्री में 15% बढ़ोतरी हुई है। धान बिना जोते खेतों में उगती है और विशेष रूप से इस पर्व पर उपयोग होता है।

संतान की दीर्घायु को लेकर रखा जाने वाला पर्व हलषष्ठी (कमरछठ) 25 अगस्त को है। पर्व को लेकर तैयारी शुरू हो गई हैं। शहर के चौक-चौराहों में इन दिनों पसहर चावल की बिक्री हो रही है। पिछले साल की तुलना में इसमें 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। संतानों की दीर्घायु की कामना लेकर माताएं कमरछठ पर्व पर कठिन व्रत रखकर पूजा-अर्चना करती हैं।

हलषष्ठी पूजन
भादो माह के षष्ठी तिथि को हलषष्ठी मनाई जाती है। इस साल हलषष्ठी व्रत 24 अगस्त को दोपहर 12:30 बजे से शुरू होगा और 25 अगस्त को सुबह 10:11 बजे तक रहेगा। कमरछठ पर्व को महिलाएं पूरे उत्साह के साथ मनाती है।

पूजन विधि
हलषष्ठी पर्व पर माताएं पूजा करने के स्थान पर सगरी खोदकर भगवान शंकर एवं गौरी, गणेश को पसहर चावल, भैंस का दूध, दही, घी, बेल पत्ती, कांशी, खमार, बांटी, भौरा सहित अन्य सामग्रियां अर्पित करती हैं। पूजन पश्चात माताएं घर पर बिना हल के सहारे उत्पादित अनाज पसहर चावल, छह प्रकार की भाजी को पकाकर प्रसाद के रूप में वितरण कर अपना उपवास तोड़ेंगी।

24 व 25 अगस्त, दो दिन मनेगा पर्व
पुजारी पं.वासुदेव शर्मा का कहना है कि हलषष्ठी पर्व से संबंधित कथा वाचन एवं श्रवण किया जाता है। पर्व पर महिलाएं एकत्र होकर एक साथ पूजा अर्चना करेंगी। इस पर्व पर उपवास तोड़कर खास अन्न ””पसहर चावल”” का सेवन करेंगी। अंचल में इस पर्व को बड़े भक्तिभाव और उत्साह से मनाया जाता है। इस साल यह पर्व शनिवार और रविवार दो दिन मनाया जाएगा।

बिना जोते खेतों में पैदा होता है पसहर
इस पर्व पर उपवास तोडकर खास अन्न पसहर (फसही) चावल का सेवन करेंगी। यह चावल सप्ताहभर पहले बाजार में पहुंच गया है। शहर के अलग-अलग स्थानों और दुकानों में यह चावल बिक रहा है। लोगों ने इसकी खरीदी भी शुरू कर दी है। इस चावल की खास बात यह है कि यह बिना हल के ही खेतों में पैदा होता है।

चावल खाकर व्रत तोड़ने की मान्यता
हलषष्ठी के पर्व पर इस चावल की मांग अधिक होती है। मान्यता है कि, इस चावल से ही व्रत तोड़ने का सदियों पुरानी परंपरा है। बाजार में पसहर चावल 20 से 30 रुपए पॉव में बिक रहा है। इसमें भी अलग-अलग किस्म के पसहर चावल हैं। मोटा और साफ चावल के भाव तय कर दिए गए हैं।

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