नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक राष्ट्र, एक चुनाव) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह कदम बीजेपी के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में किए गए प्रमुख वादों में से एक था।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति ने 62 राजनीतिक दलों से संपर्क किया था, जिनमें से 47 ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी। इनमें से 32 पार्टियों ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया, जबकि 15 पार्टियों ने इसका विरोध किया।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होंगे, और इसके 100 दिन बाद स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएंगे। इस व्यवस्था से चुनाव खर्चों में कटौती, बार-बार चुनाव कराने की परेशानी से मुक्ति, और काले धन पर लगाम लगाने जैसे फायदे मिलेंगे। साथ ही, विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा।
क्या होंगे ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के फायदे
- चुनाव पर होने वाले करोड़ों के खर्च से बचत।
- बार-बार चुनाव कराने से निजात।
- विकास पर अधिक फोकस।
- आचार संहिता का बार-बार प्रभाव समाप्त होगा।
- काले धन पर नियंत्रण