रायपुर। रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने 25वें छत्तीसगढ़ी साहित्य सम्मेलन में कहा कि साहित्य एक शक्तिशाली माध्यम है, जो छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति और गौरवशाली इतिहास को जीवित रखता है। यह सम्मेलन प्रांतीय छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के रजत जयंती अवसर पर आयोजित किया गया था।
अग्रवाल ने कहा कि साहित्य अतीत और वर्तमान को जोड़ने का कार्य करता है, जिससे हमारी सांस्कृतिक पहचान को सहेजा जा सके। उन्होंने लोक साहित्य, कविता, कहानियों और नाट्यकला के माध्यम से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को समाज में फैलाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने साहित्यकारों से अपील की कि वे सभी 33 जिलों के पर्यटन, संस्कृति, तीज-त्यौहार और परंपराओं की जानकारी एकत्रित कर जिला स्तर पर पुस्तकें प्रकाशित करें। उन्होंने यह भी कहा कि आज के डिजिटल युग में साहित्यकारों को सोशल मीडिया पर सक्रिय रहना चाहिए, ताकि वे छत्तीसगढ़ी भाषा में अपनी बातों को प्रस्तुत कर सकें।
इस सम्मेलन में तीन सत्रों का आयोजन हुआ। पहले सत्र में “छत्तीसगढ़ी वाचिक परंपरा- बोली से भाषा तक” विषय पर विचार गोष्ठी हुई। कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के रूप में बृजमोहन अग्रवाल, राजश्री डॉ. महंत रामसुंदर दास, और डॉ. अभिलाषा बेहार उपस्थित रहे।
सम्मेलन में स्वर्गीय सुशील यदु की स्मृति में विभिन्न पुस्तकों का विमोचन किया गया, साथ ही कई वरिष्ठ साहित्यकारों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। तृतीय सत्र में कवि सम्मेलन “पहुना” का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेश भर से कवियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का संचालन विभिन्न साहित्यकारों ने किया, और आभार प्रदर्शन का कार्य डॉ. राघवेंद्र दुबे ने किया। इस सम्मेलन ने छत्तीसगढ़ी साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया।