Sunday, February 23, 2025
HomeChhattisgarh Newsरायपुर : कुत्तों के हमलों से इलाके में दहशत, मासूमों को हो...

रायपुर : कुत्तों के हमलों से इलाके में दहशत, मासूमों को हो रही गंभीर चोटें

छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर समेत प्रदेशभरमें आवारा श्वानों के आतंक से लोग व बच्चे सहमे हुए हैं। ये आवारा श्वान मासूमों को ऐसी जगह नोंच रहे हैं, जिसे देखकर कोई भी सिहर जाए। डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हर सप्ताह 4 से 5 गंभीर केस आ रहे हैं, जिन्हें प्लास्टिक सर्जरी करने की जरूरत होती है।
एक मासूम के मुंह के अगल-बगल श्वानों ने ऐसा काटा कि दोनों तरफ की चमड़ी गायब है। यही नहीं, नाक के नीचे हिस्से वाली चमड़ी भी श्वान ले गया। डॉक्टरों के अनुसार ज्यादातर श्वान बच्चों के चेहरे व हाथ पर सबसे ज्यादा चोट पहुंचाते हैं। बच्चे श्वान के लिए सॉट टारगेट होते हैं। ऐसे में आवारा श्वानों से अलर्ट रहने की बेहद जरूरत है।

मासूमों की हो रही प्लास्टिक सर्जरी

राजधानी में दलदल सिवनी में एक मासूम को श्वान के काटने की घटना सुर्खियों में है। पत्रिका की पड़ताल में पता चला कि डीकेएस के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में हर माह डॉग बाइट के 25 से 30 गंभीर केस आ रहे हैं। इसमें ज्यादातर मासूम होते हैं। जब श्वान बच्चे के चेहरे या अन्य हिस्से की चमड़ी खींच लेता है तो प्लास्टिक सर्जरी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता। हाल ही में 4 वर्षीय बालक के चेहरे को श्वान ने ऐसा काटा था कि बड़ी सर्जरी करनी पड़ी है। मामला धरसींवा का है।

डॉक्टरों के अनुसार काटने वाला श्वान पालतू था और पड़ोसी का था। बच्चे का चेहरा देखने से किसी को भी सदमा लग सकता है। डॉक्टरों के अनुसार ऐसे मरीजों में राजधानी के अलावा कुछ रेफरल केस होते हैं। ऐसे केस को वेटिंग में न रखते हुए तत्काल प्लास्टिक सर्जरी की जा रही है। एचओडी प्लास्टिक सर्जरी डीकेएस डॉ. दक्षेस शाह ने कहा की अस्पताल इन दिनों सप्ताह में डॉग बाइट के 3 से 4 गंभीर केस आ रहे हैं, जिन्हें प्लास्टिक सर्जरी की जरूरत पड़ती है। इसमें रायपुर ही नहीं, बल्कि रेफरल केस भी होते हैं। बच्चे श्वान के लिए सॉट टारगेट होते हैं, इसलिए ज्यादातर ये बच्चों पर हमले करता है।

मेटिंग सीजन भी नहीं,फिर भी बढ़े डॉग बाइट के केस

अभी श्वानों का मेटिंग सीजन भी नहीं है। जुलाई में मेटिंग सीजन माना जाता है। इसके बावजूद डॉग बाइट के केस बढ़ना चौंकाने वाले हैं। मेटिंग सीजन में डॉग बाइट के केस बढ़ जाते हैं। डॉक्टरों के अनुसार खाते व सोते समय श्वानों को डिस्टर्ब करने से वह हिंसक हो जाता है।

खासकर स्ट्रीट डॉग से बचने की जरूरत होती है। ये बच्चों व महिलाओं को दौड़ाते भी हैं। राजधानी का कोई इलाका ऐसा नहीं है, जहां आवारा श्वानों का आतंक न हो। लोग बच-बचकर चलते हैं। कई स्थानों पर 10 से 15 श्वानों का झुंड दिख जाता है, जो बाइक व कार सवारों के पीछे दौड़कर काटने की कोशिश करता है।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular